आज फिर शुरू हुआ
आज फिर शुरू हुआ जीवन
आज मैंने एक छोटी-सी सरल-सी कविता पढ़ी
आज मैंने सूरज को डूबते दूर तक देखा
जी भर आज मैंने शीतल जल से स्नान किया
आज एक छोटी-सी बच्ची आयी, किलक मेरे कंधे चढ़ी
आज मैंने आदि से अंत तक एक पूरा गान किया
आज फिर जीवन शुरू हुआ
-रघुवीर सहाय, ‘प्रतिनिधि कविताएँ’ राजकमल पेपरबेक्स