Poetry Alok Saini Poetry Alok Saini

सईदन अम्मा

अरी ओ सईदन अम्मा

क्या ढूँढ रही है

खो गया क्या तेरा

तू क्या ढूँढ रही है

फूस के फूफा का पता

हवा की खाला का पता

बारिश की चाची का पता

पेड़ों की मासी का पता

तुझे पता हो तो बता

ढूँढ रही हूँ

वरना तू क्या पूछे 

मैं क्या ढूँढ रही हूँ

अरी ओ सईदन अम्मा

क्या ढूँढ रही है

खो गया क्या तेरा

तू क्या ढूँढ रही है

भैंस के भाई का पता

झाड़ की ताई का पता

कीकर की बाई का पता

ऊँट के नाई का पता

तुझे पता हो तो बता

ढूँढ रही हूँ

वरना तू क्या पूछे

मैं क्या ढूँढ रही हूँ

अरी ओ सईदन अम्मा

क्या ढूँढ रही है

खो गया क्या तेरा

तू क्या ढूँढ रही है

गुजरात गई बेटी

ईरान गया बेटा

बहन भाई में से

कोई भी नहीं लौटा

तो बाँस की लाठी का पता

भूख की रोटी का पता

तुझे पता हो तो बता

ढूँढ रही हूँ

वरना तू क्या पूछे

मैं क्या ढूँढ रही हूँ

— प्रभात, ‘बंजारा नमक लाया’ (गीत संकलन), २०१० लोकायत प्रकाशन 

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