Alok Saini Alok Saini

उड़ने को आकास मिले

उड़ने को आकास मिले

दिल को कोई आस मिले

दूर परखता रहता ईश्वर 

कभी तो अपने पास मिले

जीवन दरिया बहता पानी

तुम हो गहरी साँस मिले

नाज़ुक सपने टूटे काँच

आँखों में अब फाँस मिले

झोले झोले बाँटी ख़ुशियाँ

ख़ुद से पर उदास मिले

आँखें खोलीं रोया मानुष 

रूह को नया लिबास मिले

माधव माधव रटती मीरा

विष मिले या रास मिले

मीठे लोग, मीठी बातें

दिल में रखी खटास मिले

—आलोक

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