उड़ने को आकास मिले
उड़ने को आकास मिले
दिल को कोई आस मिले
दूर परखता रहता ईश्वर
कभी तो अपने पास मिले
जीवन दरिया बहता पानी
तुम हो गहरी साँस मिले
नाज़ुक सपने टूटे काँच
आँखों में अब फाँस मिले
झोले झोले बाँटी ख़ुशियाँ
ख़ुद से पर उदास मिले
आँखें खोलीं रोया मानुष
रूह को नया लिबास मिले
माधव माधव रटती मीरा
विष मिले या रास मिले
मीठे लोग, मीठी बातें
दिल में रखी खटास मिले
—आलोक