Alok Saini

View Original

आज फिर शुरू हुआ

आज फिर शुरू हुआ जीवन

आज मैंने एक छोटी-सी सरल-सी कविता पढ़ी

आज मैंने सूरज को डूबते दूर तक देखा

जी भर आज मैंने शीतल जल से स्नान किया

आज एक छोटी-सी बच्ची आयी, किलक मेरे कंधे चढ़ी

आज मैंने आदि से अंत तक एक पूरा गान किया 

आज फिर जीवन शुरू हुआ 

-रघुवीर सहाय, ‘प्रतिनिधि कविताएँ’ राजकमल पेपरबेक्स